कोई नेता न बेचने पाए, कफ़न किसी शहीद का, उस वसंती शाम को.... कोई नेता न बेचने पाए, कफ़न किसी शहीद का, उस वसंती शाम को....
एक बार भी माँ की सुुधि ना मेरे लहू का रंग बदल गया। एक बार भी माँ की सुुधि ना मेरे लहू का रंग बदल गया।
जीवन के अंतिम क्षणो मे बहुत कुछ लिखना चाहती हूँ। जीवन के अंतिम क्षणो मे बहुत कुछ लिखना चाहती हूँ।
माँ फिर से मुझे मेरा बचपन लौटा दो न बस ये एक अंतिम ज़िद पूरी कर दो माँ! माँ फिर से मुझे मेरा बचपन लौटा दो न बस ये एक अंतिम ज़िद पूरी कर दो माँ!
व्योम कदाचित रूप तुम्हारा, अवतारी ओंकार गणेश। व्योम कदाचित रूप तुम्हारा, अवतारी ओंकार गणेश।
जीते जी आदमी टूट जाता है, हत्यारे की कोशिश आसान होती है। जीते जी आदमी टूट जाता है, हत्यारे की कोशिश आसान होती है।